सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ता है और कैसे रखें अपना दिल स्वस्थ

सर्दियों का मौसम अपने साथ ठंडक तो लाता है, लेकिन इस मौसम में दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। हाल के वर्षों में हार्ट अटैक के मामले, खासतौर पर युवाओं में, तेजी से बढ़े हैं। इसकी वजह बदलती जीवनशैली, अनहेल्दी खानपान और सर्दी का सीधा प्रभाव है।

सर्दी के मौसम में ठंड से दिल और रक्त वाहिकाओं पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे हृदय को खून पंप करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

ठंड के दौरान शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और हृदय गति बढ़ जाती है। इसके अलावा, ठंड में पसीना कम आने के कारण शरीर से नमक बाहर नहीं निकल पाता, जिससे खून गाढ़ा हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा होता है। ऐसे में दिल की धमनियां सिकुड़ने लगती हैं, जो हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा देती हैं।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले 5 सालों में हृदय रोग के मामले 53% तक बढ़े हैं।

तनाव, हाई बीपी, मोटापा, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, गठिया और यूरिक एसिड जैसे कारक सर्दियों में हार्ट अटैक के खतरे को और बढ़ा देते हैं। इन स्थितियों में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे हृदय पर दबाव पड़ता है।

सर्दियों में आलस्य और शारीरिक गतिविधि की कमी भी दिल के लिए खतरनाक साबित होती है। ठंड के कारण कई लोग बिस्तर से उठने में भी हिचकते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य और खराब हो सकता है। निमोनिया जैसी सांस की बीमारियों से ग्रसित मरीजों में कार्डियक अरेस्ट का खतरा 6 गुना तक बढ़ जाता है।

दिल से जुड़ी समस्याओं के लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, ठंडे पसीने आना, कमजोरी, थकान, बेहोशी, पेट में दर्द और जबड़े या गर्दन में दर्द शामिल हैं। अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

हालांकि, हर मौसम में दिल का ख्याल रखना जरूरी है।

स्वस्थ दिल के लिए हर दिन 6-7 घंटे की पर्याप्त नींद लें और 30-40 मिनट योग या शारीरिक गतिविधि जरूर करें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और सर्दियों में अपने दिल की विशेष देखभाल करके हृदय रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है।

सर्दियों में अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें और समय पर सावधानियां बरतें। ठंड का आनंद लें, लेकिन अपने दिल को प्राथमिकता दें। स्वस्थ दिल से ही जीवन का हर पल खुशनुमा बनता है।

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