अर्जुन ने क्यों किया था सुभद्रा का अपहरण, क्या थी वजह?

महाभारत काल के दौरान जब अर्जुन अपने वनवास के दौरान द्वारका पहुंचे, तो उन्होंने श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा को देखा. सुभद्रा अत्यंत सुंदर, वीर और आकर्षक थीं. अर्जुन पहली नजर में ही सुभद्रा पर मोहित हो गए और सुभद्रा भी अर्जुन की वीरता और गुणों से प्रभावित होकर उनसे प्रेम करने लगीं. दोनों एक-दूसरे से विवाह करना चाहते थे.
सुभद्रा के बड़े भाई, बलराम, दुर्योधन को अपना प्रिय शिष्य मानते थे और उन्होंने अपनी बहन सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से करवाने का मन बना लिया था. बलराम यह विवाह स्वयंवर के जरिए या पारंपरिक यदुवंशी रीति-रिवाजों से करवाना चाहते थे. अर्जुन को पता था कि यदि वे सीधे विवाह का प्रस्ताव रखेंगे, तो बलराम इसे स्वीकार नहीं करेंगे.
महाभारत की कथा के अनुसार, अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का “अपहरण” किया था, लेकिन यह अपहरण सामान्य अर्थों में नहीं था, बल्कि यह एक सुनियोजित योजना और प्रेम विवाह का तरीका था, जिसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुझाया था. भगवान श्रीकृष्ण, जो अर्जुन के परम मित्र और सुभद्रा के भाई थे, जानते थे कि सुभद्रा भी अर्जुन से प्रेम करती हैं और वे स्वयं भी सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से नहीं करवाना चाहते थे, क्योंकि दुर्योधन का स्वभाव और कर्म सही नहीं थे.
श्रीकृष्ण ने अर्जुन की भावनाओं को समझा और उन्हें यह भी पता था कि बलराम अपनी बात से आसानी से पीछे नहीं हटेंगे. ऐसे में उन्होंने अर्जुन को सलाह दी कि क्षत्रिय परंपरा के अनुसार, यदि कन्या भी प्रेम करती हो और मार्ग में कोई अड़चन हो, तो हरण विवाह करना सबसे उचित तरीका होगा. श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जब सुभद्रा मंदिर में पूजा करने जाएं, तब वे उनका हरण कर लें. श्रीकृष्ण ने अपने रथ को भी तैयार रखने का आश्वासन दिया था.
जब कन्या की सहमति हो तो क्षत्रिय परंपरा में हरण विवाह को वैध माना जाता था. यह कोई जबरन अपहरण नहीं था, बल्कि सुभद्रा की पूरी सहमति थी. बाद में जब बलराम को इस बात का पता चला और वे अर्जुन पर क्रोधित हुए, तो श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि यह हरण अर्जुन ने नहीं, बल्कि सुभद्रा ने अर्जुन का किया है, क्योंकि सुभद्रा अपनी इच्छा से अर्जुन के रथ पर बैठी थीं और स्वयं रथ चला रही थीं.