30 सितंबर तक बंद रहेगा वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व, बाघिनों के प्रजनन का होता है यह समय

दमोह: वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में एक जुलाई से तीन महीने घूमने पर प्रतिबंध रहेगा। एक जुलाई से बंद हुआ टाइगर रिजर्व अब एक अक्टूबर से खुलेगा, रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश का 7वां टाइगर रिजर्व है जो सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला हुआ है। आने वाले समय में यहां बैटरी से चलने वाले वाहन भी लाए जा सकते है ।

बता दें कि यह टाइगर रिजर्व पूर्व में अधिसूचित नौरादेही अभयारण्य और दुर्गावती अभयारण्य के क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है। इसका कुल क्षेत्रफल 2 हजार 339 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें एक हजार 414 वर्ग किमी कोर क्षेत्र और 925.12 वर्ग किमी बफर क्षेत्र शामिल है। इस क्षेत्र में वर्तमान में 24 से अधिक बाघ हैं, इनमें नन्हे शावक से लेकर बड़े शावक भी शामिल है, जिन्होंने अब अपना अलग-अलग ठिकाना बना लिया है।

बाघों के अलावा इन टाइगर रिजर्व में तेंदुआ, नीलगाय, भालू, सांभर, चीतल सहित बड़ी संख्या में अन्य प्रजाति के शाकाहारी और मांसाहारी जानवर रहते हैं। इसका सबसे ज्यादा भाग दमोह जिले की सीमा में फैला हुआ है।

बाघ और चीता को साथ में बसाने की है तैयारी

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व का विस्तार और इसको अन्य टाइगर रिजर्व के मुकाबले बेहतर बनाने के लिए प्रबंधन की ओर से अनेक तरह की प्रकिया अपनाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार, भविष्य में बाघ और चीता दोनों एक ही टाइगर रिजर्व में रहेंगे, यदि यह संभव होता है तो यह पहला टाइगर रिजर्व होगा जहां दोनों मांसाहारी जानवर साथ-साथ देखे जाएंगे।

इसके अलावा एक और नई जानकारी यह भी निकलकर आ रही हैं। प्रदेश के सात टाइगर रिजर्व में प्रबंधन जंगल सफारी के रूप में भविष्य में पेट्रोल सफारी पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा। इसके स्थान पर प्रशासन बैटरी से चलने वाले वाहन लाने की तैयारी रहा है। अधिकारियों का मानना है पेट्रोल वाले वाहनों से जंगलों में प्रदूषण फैलता है जो जानवरों के लिए नुकसान दायक है।

सैलानियों की संख्या में हुई बढ़ोतरी

नौरादेही अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी, वर्ष 2018 में बाघ और बाघिन का एक जोड़ा यहां छोड़ा गया था। उसके बाद लगातार बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई 23 सितम्बर 2023 को इस अभयारण्य को टाइगर रिजर्व की मान्यता मिली।

वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रदेश का सातवां टाइगर रिजर्व घोषित हुआ, उसके बाद सैलानियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2025 में पूरे साल में 1600 से ज्यादा पर्यटक टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर पहुंचे, उससे पहले वर्ष 2024 में 1200 सैलानी पहुंचे थे।

बंद होने का यह है कारण

बारिश का मौसम 15 जून से शुरू हो जाता है और एक जुलाई से सभी टाइगर रिजर्व और अभयारण्य में सैलानियों का प्रवेश प्रतिबंध हो जाता है। इसके दो कारण है पहला यह कि बारिश के दिनों में बाघिनों के प्रजनन का समय होता है। ऐसे में उनके लिए शांत वातावरण होना जरूरी होता है।

दूसरा, सैलानियों की सुरक्षा को देखते हुए भी टाइगर रिजर्व और अभयारण्य बंद कर दिये जाते हैं, क्योंकि बारिश के दिनों में जंगल से निकले कच्चे मार्गो पर दलदल हो जाती है। नदी, नाले भी उफान पर रहते है, ऐसे में पर्यटकों का जंगल भ्रमण करना खतरे से खाली नहीं होता।

इस संबंध में उपवन मंडल अधिकारी, प्रतीक दुबे ने बताया कि एक जुलाई से 30 सितंबर तक वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व बंद किया गया है। बैटरी वाली जिप्सी योजना के संबंध में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन जंगली जानवरों को प्रदूषण से बचाने के लिए शायद इसके लिए पत्राचार उच्च अधिकारियों द्वारा हुए है।

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