एक साल के पीजी कोर्स पर अब तक नहीं बनी गाइडलाइन, साढ़े तीन हजार विद्यार्थी असमंजस में

 इंदौर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत 2025-26 सत्र में एक वर्षीय पीजी पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का फैसला लिया है। प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू हो गई, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने एक वर्षीय पाठ्यक्रम के संबंध में अब तक कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं।

इससे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से चार वर्षीय स्नातक (आनर्स/रिसर्च) पूरा कर चुके करीब 3500 विद्यार्थियों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक आनलाइन काउंसिलिंग को लेकर दो चरणों की प्रक्रिया पूरी हो गई है। अब सीएलसी के लिए पंजीयन चल रहे हैं।

कॉलेज प्रशासन भी उलझन में

विभाग की लापरवाही के चलते विद्यार्थी और कालेज की उलझने बढ़ गई हैं। विद्यार्थियों को यह समझ नहीं रहा है कि क्या उन्हें इस सत्र में पीजी में दाखिला मिलेगा? डिग्री किस नाम से दी जाएगी? क्या यह डिग्री प्रतियोगी परीक्षाओं या उच्च अध्ययन में मान्य होगी? शासन की चुप्पी ने इन सवालों को और गंभीर बना दिया है। वहीं कॉलेज प्रशासन भी उलझन में है।

चार साल का यूजी लागू किया, लेकिन आगे गंभीरता नहीं दिखाई

उन्हें न पाठ्यक्रम की जानकारी है, न यह पता कि किन फैकल्टी सदस्यों से इसे पढ़वाया जाएगा। इससे कालेज न तो संबद्धता प्रक्रिया पूरी कर पा रहे हैं और न ही जरूरी शैक्षणिक तैयारी। शिक्षाविद डॉ. मंगल मिश्र का कहना है कि शासन ने चार साल का यूजी तो लागू कर दिया, लेकिन आगे की योजना पर गंभीरता नहीं दिखाई।

स्थानीय स्तर पर लचीलापन खत्म हो गया है और संवाद की कमी छात्रों के हितों को नुकसान पहुंचा रही है। शिक्षाविद डॉ. कविता कासलीवाल का मानना है कि शासन को तुरंत एक वर्षीय पीजी को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन जारी करनी चाहिए। इससे छात्रों का समय और भविष्य सुरक्षित रह सके।

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