Transfer के खिलाफ कर्मचारी की याचिका हाई कोर्ट ने खारिज की, कहा- ‘स्थानांतरण सेवा का दायित्व

ट्रांसफर के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि स्थानांतरण, तैनाती सेवा का एक दायित्व है। अदालत को स्थानांतरण, तैनाती आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जब तक कि दुर्भावना या वैधानिक नियमों और विनियमों का उल्लंघन न हो।

बिलासपुर/बिलासपुर में Transfer (स्थानांतरण) के खिलाफ दायर एक कर्मचारी की याचिका को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि स्थानांतरण और तैनाती सेवा का एक दायित्व है, और अदालत को ऐसे प्रशासनिक आदेशों में तब तक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जब तक कि दुर्भावना या वैधानिक नियमों का उल्लंघन न हो।

याचिकाकर्ता जितेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय के विधि प्रकोष्ठ में सहायक ग्रेड 2 के पद पर कार्यरत थे।जिला शिक्षा अधिकारी ने उनका तबादला शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मानिकचौरी, मस्तूरी कर दिया था।जितेंद्र कुमार ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने तर्क दिया कि वह डीईओ कार्यालय में नियमित कर्मचारी नहीं हैं, बल्कि डीपीआई (DPI) के आदेश से राज्य विधिक प्रकोष्ठ की व्यवस्था के अनुसार रिक्त पद पर तैनात हैं। इसलिए, कलेक्टर को उनका स्थानांतरण करने का अधिकार नहीं है।

शासन की ओर से पेश हुए वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता का नाम डीईओ कार्यालय के अधीन एक कर्मचारी के रूप में दर्ज है और उसकी मूल नियुक्ति भी वहीं है। प्रशासनिक आवश्यकता और कार्य आचरण को देखते हुए उनका स्थानांतरण किया गया है, जो कि राज्य का विशेषाधिकार है।सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा:”स्थानांतरण, तैनाती सेवा का एक दायित्व है।

अदालत को स्थानांतरण, तैनाती आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जब तक कि दुर्भावना या वैधानिक नियमों और विनियमों का उल्लंघन न हो।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कर्मचारियों को जनहित और प्रशासनिक आवश्यकता के अनुसार नियोक्ता के कहने पर कहीं भी तैनात किया जा सकता है।

कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता स्थानांतरणीय पद पर है और उसका तबादला करना राज्य सरकार का विशेषाधिकार है। भले ही डीपीआई द्वारा तैनाती की गई थी, लेकिन यह केवल एक पदस्थापना थी।