भोपाल का सर्पीला ओवरब्रिज बना हादसों का कारण, 8 घंटे में दो दुर्घटनाएं, इंजीनियरिंग पर उठे सवाल

 भोपाल। राजधानी भोपाल का सुभाष नगर रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है, लेकिन तारीफों के लिए नहीं, बल्कि इसके सर्पीले और खतरनाक डिजाइन को लेकर। इस ओवरब्रिज पर आठ घंटे के भीतर दो सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें गाड़ियाँ डिवाइडर से टकराकर पलट गईं। गनीमत रही कि इन हादसों में किसी की जान नहीं गई, लेकिन पुल की निर्माण गुणवत्ता और डिजाइनिंग पर गंभीर सवाल जरूर खड़े हो गए हैं।

यह 690 मीटर लंबा टू लेन ब्रिज है, जिसे 40 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था। इसमें 28 करोड़ रुपये का योगदान लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) और 12 करोड़ रुपये रेलवे विभाग द्वारा दिया गया था। यह ब्रिज प्रभात चौराहा से मैदा मिल रोड को जोड़ता है और आमजन के लिए वर्ष 2022 में खोला गया था।

क्यों कहते हैं ‘सांप जैसा पुल’?

सुभाष नगर ओवरब्रिज का आकार बेहद घुमावदार और असामान्य है, जिससे इसे लोग ‘सर्पीला पुल’ या ‘सांप जैसा ब्रिज’ कहने लगे हैं। यह डिजाइन इस कदर पेचीदा है कि अगर वाहन की रफ्तार थोड़ी भी तेज हो, तो चालक ब्रेक तक नहीं लगा पाता और हादसा हो जाता है।

मंगलवार रात एक कार डिवाइडर से टकराकर पलट गई और बुधवार सुबह स्कूली बच्चों की वैन उसी जगह टकरा गई। हादसों के बाद इंटरनेट मीडिया पर इस पुल की डिजाइन का मजाक उड़ाया जा रहा है। लोग इसे भोपाल की ‘इंजीनियरिंग फेल’ मिसाल बता रहे हैं।

क्या हैं निर्माण की खामियां?

  • ब्रिज पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनाए गए हैं, जबकि यह तेज रफ्तार वाहनों के लिए खतरनाक है।

 

  • अचानक शुरू होने वाला डिवाइडर दुर्घटनाओं की प्रमुख वजह है।

 

  • भेल की तरफ तीसरी भुजा (थर्ड लेग) का निर्माण, जिसकी लागत 8 करोड़ थी, अब तक शुरू नहीं हुआ है।

 

  • आयकर भवन के पास रोटरी नहीं बनाई गई, जिससे ट्रैफिक की दिशा तय नहीं हो पाती।

 

  • डिवाइडर का काम अधूरा है, जिससे एमपी नगर, प्रभात चौराहा और जिंसी से आने वाले वाहन आमने-सामने आकर टकरा सकते हैं।

 

पूर्व नगर निगम सिविल इंजीनियर सुयश कुलश्रेष्ठ के अनुसार, मैदा मिल की ओर ब्रिज की शुरुआत में कोई रोटरी नहीं है और पहली बार चलने वाले ड्राइवरों को अचानक डिवाइडर देखकर नियंत्रण खोने का खतरा बना रहता है।

जवाब देने से बच रहे जिम्मेदार

हादसों के बाद लोनिवि के वरिष्ठ इंजीनियर, जैसे चीफ इंजीनियर जीपी वर्मा और ईएनसी केपीएस राणा ने मीडिया से बात करने से इंकार कर दिया है। ब्रिज का निर्माण तत्कालीन प्रभारी मुख्य अभियंता संजय खांडे के कार्यकाल में हुआ था। उनके निर्देशन में ऐशबाग आरओबी पर भी 90 डिग्री का खतरनाक मोड़ बनाया गया था, जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा जांच के आदेश दिए गए थे।

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