एमसीएक्स में 4 घंटे की ट्रेडिंग रुकावट पर सेबी सख्त, मांगी डिटेल रिपोर्ट; एक गड़बड़ी ने बढ़ाई चिंता

एमसीएक्स पर 4 घंटे ट्रेडिंग रुकने पर सेबी ने रिपोर्ट मांगी है।
MCX Down: कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में सोमवार, 28 अक्टूबर को हुई 4 घंटे से ज्यादा की ट्रेडिंग रुकावट पर अब बाजार नियामक सेबी सख्त हो गया। सेबी ने इस तकनीकी गड़बड़ी को लेकर एमसीएक्स से डिटेल रिपोर्ट मांगी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी ने कहा कि पहले प्राथमिकता एक्सचेंज के ऑपरेशन्स को बहाल करना था, जो हो गया। अब एक्सचेंज से घटना की पूरी जानकारी, कारण और सुधारात्मक कदमों की रिपोर्ट मांगी जाएगी।
सेबी ने मांगी डिटेल रिपोर्ट
सेबी के एक अधिकारी ने बताया कि डीआर साइट (डिजास्टर रिकवरी) पर ऑपरेशन्स शिफ्ट करने में जो वक्त लगा, वह गंभीर चिंता का विषय है।
एमसीएक्स ने सेबी को सूचित किया कि तकनीकी दिक्कत के कारण सोमवार सुबह ट्रेडिंग रुक गई थी। बाद में डीआर साइट पर सिस्टम शिफ्ट किए गए और दोपहर 1:25 बजे ट्रेडिंग दोबारा शुरू हुई। एक्सचेंज ने कहा कि हमने जांच शुरू कर दी है और कारणों की पहचान कर जरूरी सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
ब्रोकरों की नाराजगी
लंबी देरी से परेशान कई ब्रोकरों ने अपने ग्राहकों को एनएसई के कमोडिटी प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होने का विकल्प दिया। एक ब्रोकर ने कहा, ‘यह हैरान करने वाली बात थी कि एक्सचेंज को डीआर साइट पर स्विच करने में इतना वक्त लगा।’ एक अन्य ब्रोकर ने कहा, ‘संभावना है कि सिस्टम पर ओवरलोड था। बैकएंड प्रोसेसिंग क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है।’
बीसीबी ब्रोकरेजे के एमडी उत्तम बागरी ने कहा कि एक्सचेंज टेक्नोलॉजी जटिल होती है, इसलिए गड़बड़ियां हो सकती हैं लेकिन मुआवजे की मांग ठीक नहीं। ऐसे नुकसान केवल अनुमान पर आधारित हैं, जिनका हिसाब लगाना मुश्किल है।
सेबी का एसओपी क्या है
सेबी ने 2021 में ऐसी तकनीकी गड़बड़ियों से निपटने के लिए स्पष्ट एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किया था। इसके तहत घटना के 24 घंटे के भीतर प्राथमिक रिपोर्ट, और 21 दिन में रूट कॉज़ एनालिसिस जमा करना जरूरी है। अगर रिपोर्ट देरी से या अधूरी जमा की जाती है, तो प्रति कार्य दिवस 1 लाख का जुर्माना लग सकता है। किसी भी बड़े सिस्टम डिसरप्शन को 30 मिनट में डिजास्टर घोषित करना अनिवार्य है।
इसमें देरी होने पर पिछले दो सालों के औसत मुनाफे का 10 फीसदी या 2 करोड़, जो अधिक हो, उतना जुर्माना लगाया जा सकता है। अगर डिजास्टर घोषित होने के बाद 45 मिनट में ऑपरेशन बहाल नहीं होता, तो फिर से 10 फीसदी या 2 करोड़ का फाइन लगेगा। और यदि रुकावट तीन घंटे से अधिक रहे, तो एक और समान जुर्माना लगाया जाएगा।
इन सभी रकमों को इंवेस्टर प्रोटेक्शन फंड या कोर कोर सेटेलमेंट गारंटी फंड में जमा किया जाता है। अब सेबी की टेक्निकल एडवाइजरी कमेटी एमसीएक्स से रिपोर्ट लेकर आगे की कार्ऱवाई तय करेगी।
(प्रियंका कुमारी)











