रानी पद्मावती का ‘हीरामन’ तोता साइंस म्यूजियम में बना आकर्षण का केंद्र, पूरी दुनिया में Alexandrine Parakeet के नाम से मशहूर

भोपाल स्थित क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय में इस माह के प्रदर्श के रूप में जिस जीव को स्थान मिला है, वह ना केवल जैविक विविधता बल्कि इतिहास और लोककथाओं की दुनिया से भी गहरा नाता रखता है – यह है ‘हीरामन’ तोता, जिसे दुनिया भर में अलेक्जेंडर पैराकीट के नाम से जाना जाता है।
यह वही तोता है जिसका जिक्र पद्मावत महाकाव्य में रानी पद्मावती के प्रिय साथी के रूप में किया गया है। अपनी स्पष्ट आवाज और बुद्धिमत्ता के लिए पहचाना जाने वाला यह पक्षी अब संग्रहालय में बच्चों और दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है।
हीरामन तोता से जुड़ा इतिहास
हीरामन तोता केवल एक पालतू पक्षी नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास और साहित्य का महत्वपूर्ण पात्र भी रहा है। पद्मावत में इसे रानी पद्मावती के सबसे प्रिय साथी के रूप में दर्शाया गया है। हिंदू पौराणिक कथाओं में भी तोते का संबंध प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति से बताया गया है।
इस प्रजाति का वैज्ञानिक नाम (सिटाकुला यूपैट्रिया) है, जो भारत और दक्षिण एशिया में पाई जाती है। इसकी लंबाई लगभग 58 से 62 सेमी होती है और नर के गले में एक विशिष्ट काले-गुलाबी घेरा होता है।
संग्रहालय में प्रदर्शनी का उद्देश्य
डॉ. बीनिश रफत, वैज्ञानिक-डी और संग्रहालय प्रमुख ने बताया कि माह का प्रादर्श श्रृंखला वर्ष 2016 से शुरू की गई थी और हीरामन को बच्चों की रुचि, संरक्षण की जरूरत और इसकी पौराणिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए चुना गया है। संग्रहालय में यह मॉडल 53 सेंटीमीटर का है, जिसे स्थानीय माड्यूलर टीम ने तैयार किया है।
इसका उद्देश्य
- बच्चों को लोककथाओं और विज्ञान से जोड़ना
- लुप्तप्राय प्रजातियों के महत्व को समझाना
- संकटग्रस्त प्रजाति और कानूनी चेतावनी
Alexandrine Parakeet को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 (WPA) के तहत संरक्षित किया गया है। संशोधित कानून के अनुसार, इस प्रजाति को पालना, बेचना या खरीदना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर 1 लाख रुपये तक जुर्माना या 3 साल तक की जेल या दोनों हो सकते हैं। विदेशों में इसकी कीमत 50,000 से 1.5 लाख रुपये तक बताई जाती है, जिससे इसके अवैध व्यापार का खतरा बढ़ गया है।
कैसे पड़ा Alexandrine नाम?
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार जब सिकंदर (Alexander the Great) भारत आया, तो वह इस बोलने वाले बुद्धिमान तोते से प्रभावित हुआ और कई तोते यूरोप ले गया। तभी से इस प्रजाति को Alexandrine Parakeet के नाम से जाना जाने लगा।