अपनी मेहनत के दम पर पनागर के सम्यक जैन ने बनाई अलग पहचान, हासिल किया ये मुकाम

जबलपुर। पिता चाहते थे कि बेटा पढ़-लिखकर कोई अच्छी नौकरी करें। कोई ऐसा क्षेत्र चुने जहां नौकरी के बेहतर अवसर हों। प्रत्येक माह निर्धारित वेतन प्राप्त हो और वह जीवन में अच्छे से गुजर बसर कर सके, लेकिन बेटे की मंजिल कुछ और थी। जब भविष्य को संवारने का समय आया तो उसने नौकरी का इरादा छोड़ दिया। अब वह अपने अंदर छिपी रचनात्मकता के साथ करियर को आगे बढ़ाने का लक्ष्य साधा। उसने कंसट्रक्शन एवं इंटीरियर डिजाइन की पढ़ाई किया। फिर कम समय में ही उसने ऐसा कमाल दिखाया कि इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में अलग पहचान बना ली।

सम्यक को बचपन से ड्राइंग करना था पसंद

 

यह कहना है पनागर के रहने वाले अरहम इंटीरियर डिजाइनिंग के संचालक सम्यक जैन का। छोटी सी आयु में उन्होंने अपनी एक कंपनी खड़ी कर ली है, जिसके माध्यम से वह अब दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। लोगों ने कला को सराहा तो मिला प्रोत्साहन -सम्यक जैन ने बताया कि उन्हें बचपन से ड्राइंग करना पसंद था। स्कूल में कुछ चित्रकला एवं रेखांकन प्रतियोगिता में सहभागिता की थी। लोगों ने उनकी कला को सराहा तो प्रोत्साहन मिला।

इंटीरियर डिजाइनिंग में चुना करियर

 

वर्ष 2015 में जबलपुर में आयोजित एक राज्य स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता में उन्हें प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। तब तक वह अपनी रुचि के अनुसार कला के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते थे, लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार से थे। परिवार का किराना का व्यापार था। जब 12वीं कक्षा उत्तीर्ण हुए तो पिता ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने कहा। एक अच्छी नौकरी के प्रयास के लिए बोला। पिता का मन रखने के लिए बात तो मान ली, लेकिन मन में कला के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ। कुछ समय बाद भवनों की ड्राइंग और इंटीरियर डिजाइनर का कार्य करके अपनी रचनात्मक प्रतिभा और व्यावसायिक कौशल के सहारे जीवन में आगे बढ़ने का निर्णय किया। इस यात्रा में उन्हें सफलता मिली। वे अब लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं।

 

एक वर्ष में चार गुना हो गई कमाई

 

सम्यक पहले घर से ही काम करते थे। उन्होंने बिना किसी निवेश के काम शुरू किया। गत वर्ष उन्होंने अपनी कंपनी बनाई। वे बताते हैं कि कंस्ट्रक्शन टेक्नोलाजी की पढ़ाई का ज्ञान उनके इंटीरियर डिजाइनर के काम में लाभदायक रहा। वह कंस्ट्रक्शन के समय ही संरचना को इस प्रकार तैयार करते हैं कि इंटीरियर करते समय तोड़फोड़ कम हो। एक वर्ष के अंदर उनकी कंपनी लगभग 11 प्रोजेक्ट कर चुकी है, जिसमें जबलपुर से लेकर रतलाम, नोएडा तक में इंटीरियर का काम शामिल है। उनकी कमाई अब लगभग चार गुना बढ़ गई है। वह तीन से अधिक लोगों को नियमित रूप से रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।

एक ट्रेन यात्रा से मन बदला

 

सम्यक बताते हैं कि पहले वह असमंजस में थे, लेकिन पिता के कहने पर जब इंदौर जा रहे थे तो ट्रेन में उनके पास की सीट पर एक यात्री बैठे थे, जो कि कुछ डिजाइन कर रहे थे। उन डिजाइन को लेकर जिज्ञासा हुई। पूछा तो उन्होंने लोगों के सपने के घर को डिजाइन करना बताया। उन्होंने आर्किटेक्ट से लेकर इंटीरियर डिजाइनर की जानकारी दी। उन्हें देखकर सोचने लगे कि यहां ड्राइंग का कार्य उसकी रुचि के अनुसार है। तभी अपना करियर इस क्षेत्र में बनाने का निर्णय कर लिया था। पढ़ाई के साथ ही वरिष्ठों के साथ फील्ड पर जाकर काम में हाथ बंटाने लगे। अनुभव और अपनी रचनात्मकता से लोगों के घर, कार्यालय एवं अन्य प्रतिष्ठानों के निर्माण के साथ उन्हें नए स्वरूप में संवारना शुरू कर दिया।

 

इंदौर, जयपुर गए, लेकिन लौट आए पिता के कहने पर

 

सम्यक 12वीं की पढ़ाई के बाद इंदौर गए। उनके पिता ने एक प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाले एक कोचिंग संस्थान में उनका प्रवेश कराया, लेकिन उनका मन नहीं लगा। वह एक माह में घर वापस लौट आए। फिर पिता ने समझाया और इस बार यूपीएससी की तैयारी करने के लिए कहा। जयपुर में एक कोचिंग संस्थान में उसका प्रवेश कराया। लेकिन वह जयपुर से भी कुछ ही दिन में लौट आए। फिर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन टेक्नोलाजी पर वोकेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम किया। उसके बाद इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स किया।

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