Narak Chaturdashi 2025: इस दिशा में जलाएं यम दीपक, मिलेगी यमराज की कृपा और दूर होंगी नकारात्मक शक्तियां
Narak Chaturdashi 2025 पर सही दिशा और विधि से यम दीपक जलाने से यमराज की कृपा प्राप्त होती है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। जानें दीपक जलाने की सही विधि और शुभ मुहूर्त।

Narak Chaturdashi 2025/दिवाली से एक दिन पहले आने वाली नरक चतुर्दशी हिंदू पंचांग में बेहद पवित्र और शुभ मानी गई है। यह दिन छोटी दिवाली या यम दीपदान के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता की पूजा और यम दीपक का दीपदान करने से घर में अकाल मृत्यु, रोग और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इस वर्ष यह पावन पर्व 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा।
क्यों जलाया जाता है यम दीपक?Narak Chaturdashi 2025
शास्त्रों के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के नाम पर दीपक जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कहा जाता है कि इस दिन यमराज स्वयं पृथ्वी लोक का भ्रमण करते हैं, और जो व्यक्ति श्रद्धा से उनके नाम का दीपक जलाता है, उसके घर में मृत्यु और अशुभ शक्तियों का प्रवेश नहीं होता।
यह दीपक घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके परिवार में दीर्घायु, सुख और समृद्धि का संचार करता है।
नरक चतुर्दशी 2025 की तिथि और शुभ समय/Narak Chaturdashi 2025
- तिथि आरंभ: 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 1:51 बजे
- तिथि समाप्ति: 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 3:44 बजे
- शुभ समय दीपदान के लिए: 19 अक्टूबर की संध्या बेला (सूर्यास्त के बाद) सबसे शुभ मानी गई है।
यम दीपक जलाने की विधि और सही दिशा
नरक चतुर्दशी के दिन यम दीपक जलाने का एक निश्चित विधान है, जिसे सही दिशा और भावना के साथ किया जाना चाहिए।
शास्त्रों में बताया गया है कि यम दीपक हमेशा दक्षिण दिशा में जलाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है।
दीपक मिट्टी या गेहूं के आटे से बना चौमुखी दीपक होना चाहिए। उसमें सरसों का तेल डालकर चार बातियां लगाई जाती हैं, जो चारों दिशाओं में शुभ ऊर्जा फैलाने का प्रतीक हैं।
दीपक जलाने के बाद उसे घर के चारों कोनों में घुमाकर दक्षिण दिशा में स्थिर स्थान पर रख दें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यमराज की कृपा बनी रहती है।
नरक चतुर्दशी का आध्यात्मिक महत्व
नरक चतुर्दशी को अंधकार पर प्रकाश और मृत्यु पर जीवन की विजय का प्रतीक माना गया है। यह दिन व्यक्ति को नकारात्मकता, भय और असुरक्षा से मुक्त करता है।
कहा जाता है कि इस दिन स्नान, दीपदान और यमराज की प्रार्थना करने से जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं और परिवार पर मृत्यु देवता का आशीर्वाद बना रहता है।