ढोंगी तरुण के पास यूरोप से आ रहा था पैसा… विदेशी फंडिंग की जांच शुरू

राजनांदगांव: डोंगरगढ़ में गिरफ्तार आरोपी योगी तरुण उर्फ कांतिलाल अग्रवाल के प्रकरण में पुलिस की जांच अब एक नई दिशा में बढ़ रही है। तरुण के यूरोपियन कनेक्शन और एनजीओ को मिलने वाली विदेशी फंडिंग के कारण यह Yoga Ashram Case गंभीर हो गया है। पुलिस को संदेह है कि तरुण विदेश से फंडिंग प्राप्त कर भारत में किसी अन्य संस्था को आर्थिक सहायता पहुंचा रहा था।
बता दें कि डोंगरगढ़ स्थित आश्रम से कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है। पुलिस यह भी जानने की कोशिश कर रही है कि तरुण ने 42 एकड़ जमीन खरीदने के लिए करोड़ों रुपये कहां से प्राप्त किए। योगी तरुण का गोवा में योगाश्रम संचालित करना और डोंगरगढ़ में करोड़ों का निवेश करना कई सवाल खड़े कर रहा है।
जांच एजेंसियों की हो सकती है एंट्री
उसकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, वह यूरोप में उच्च दरों पर योग प्रशिक्षण की पेशकश कर रहा है। यह संकेत करता है कि उसका यूरोप के लोगों से संपर्क मजबूत है। इस मामले में बड़ी जांच एजेंसियों की एंट्री की संभावना है।
10 लाख तक लेता था फीस
योगी तरुण का रिसार्ट गोवा के पटनेम बीच पर स्थित है, जहां वह 10 लाख रुपये तक चार्ज करता है। उसकी वेबसाइट पर चार अलग-अलग कैटेगरी के पैकेज उपलब्ध हैं। यह वेबसाइट भी वर्ष 2024 में तैयार की गई है। जबकि तरुण 10 सालों से गोवा में योगाश्रम चलाने की बात कहता है।
अचानक बना करोड़ों की संपत्ति का मालिक
योगी तरुण सामान्य पृष्ठभूमि से आता है और उसने गोवा में बारटेंडर के रूप में काम शुरू किया था। अब वह करोड़ों की संपत्तियों का मालिक है। उसकी संपत्ति के स्रोत की जांच महत्वपूर्ण है।
फार्म हाउस से मिला अनैतिक सामान
पुलिस ने 24 जून को योगी तरुण को गिरफ्तार किया था। उसने दावा किया है कि वह 10 एनजीओ से जुड़ा हुआ है और 100 देशों की यात्रा कर चुका है, जिसमें अधिकांश यूरोप में की गई हैं। डोंगरगढ़ में उसके फार्महाउस से दो किलो गांजा और अन्य अनैतिक सामग्री बरामद की गई थी।
इस पूरे मामले में जांच को लेकर एसडीओपी, डोंगरगढ़ आशीष कंजाम का कहना है कि यह जांच की जाएगी कि योगी तरुण के दावों में कितनी सच्चाई है। साथ ही एनजीओ के आर्थिक मामलों की जांच भी की जाएगी।
वहीं पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी का कहना है कि इस मामले में इंटेलिजेंस एजेंसियों की जांच आवश्यक है, ताकि अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का पता लगाया जा सके। स्टेट इंटेलिजेंस और सेंट्रल इंटेलिजेंस ब्यूरो ऐसे प्रकरणों में काम करेंगे। अगर कोई गठजोड़ निकलता है तो आगे भी उसमें कार्रवाई हो सकती है।