राज्योत्सव में छत्तीसगढ़ी भाषा की अनदेखी पर मनवा कुर्मी समाज का विरोध, आयोजन को बताया राजनीतिक मंच

बलौदाबाजार में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी समाज के केंद्रीय अध्यक्ष खोड़श राम कश्यप ने छत्तीसगढ़ी भाषा और राज्य निर्माताओं की अनदेखी पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह उत्सव, जो छत्तीसगढ़ की भाषा, संस्कृति और गौरव का प्रतीक है, अब राजनीतिक रंग में रंग गया है।
कश्यप ने आरोप लगाया कि मंच पर किसी भी मंत्री या नेता ने छत्तीसगढ़ी भाषा में संबोधन नहीं किया, जो मातृभाषा और स्थानीय अस्मिता का अपमान है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा जनता की भावना से गहराई से जुड़ी है और इसे दरकिनार करना राज्य के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य निर्माण में योगदान देने वाले नेताओं को भुला दिया गया है। कश्यप ने विशेष रूप से मन्नूलाल मिश्रा, डॉ. खूबचंद बघेल, छेदीलाल बैरिस्टर और परसराम यदु जैसे राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले नेताओं का नाम न लिए जाने को बड़ी गलती बताया।
उन्होंने पूर्व सांसद रमेश बैस के योगदान की भी याद दिलाई, जिन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने छत्तीसगढ़ राज्य गठन का प्रस्ताव रखा था।
कश्यप ने कार्यक्रम को “राज्योत्सव नहीं, बल्कि दिखावा” करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा इस उत्सव को एक राजनीतिक मंच की तरह इस्तेमाल कर रही है, जबकि इसका असली उद्देश्य छत्तीसगढ़ की माटी, भाषा और संस्कृति का सम्मान करना होना चाहिए।
मनवा कुर्मी समाज ने चेतावनी दी कि यदि आने वाले आयोजनों में छत्तीसगढ़ी भाषा और राज्य निर्माताओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया, तो समाज व्यापक आंदोलन करेगा।










