‘कुंभ स्नान करने गया था… फरार नहीं था’, रेप के आरोपी तहसीलदार ने कोर्ट में बयान

ग्वालियर। जिस पांच हजार रुपये के इनामी, दुष्कर्म के आरोपित निलंबित तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान को ग्वालियर पुलिस और क्राइम ब्रांच दिन-रात ढूंढ रही थी, वह खुद को ‘फरार’ नहीं बल्कि ‘तीर्थयात्री’ बता रहा है! चौहान ने कोर्ट में दावा किया कि वह गिरफ्तारी से बचने के लिए नहीं, बल्कि कुंभ मेले और चार धाम यात्रा पर गया था। हालांकि, उसके इस दावे पर पुलिस और कोर्ट दोनों ने ही सवाल उठाए हैं।

फरार नहीं, तीर्थयात्रा पर था… तहसीलदार ने कहा

लगभग पांच महीने से फरार चल रहे शत्रुघ्न सिंह चौहान ने सोमवार को ग्वालियर कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद उसे पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। पुलिस पूछताछ के दौरान जब उससे छिपने का कारण पूछा गया तो उसने हैरानीजनक जवाब दिया कि वह छिपा नहीं था, बल्कि आध्यात्मिक यात्रा पर था। उसने बताया कि उसने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए थे और अपने साथ ग्वालियर के एक वकील का नंबर एक पर्ची पर लेकर निकला था, ताकि जमानत के लिए संपर्क कर सके।

दिलचस्प बात यह है कि जब उसे यह भनक लगी कि पुलिस उसकी संपत्ति की जानकारी जुटा रही है और कुर्की की कार्रवाई हो सकती है, तभी उसने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया और सीधे कोर्ट पहुंच गया। बुधवार को पुलिस ने उसे फिर कोर्ट में पेश किया, जहां से कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए उसे जेल भेज दिया।

कोर्ट ने उठाए सवाल

इस मामले में कोर्ट ने प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर एक वांछित आरोपित इतने लंबे समय तक खुलेआम कैसे घूमता रहा और पुलिस उसे क्यों नहीं पकड़ पाई। यह पुलिस की कार्रवाई पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाता है।

क्या था पूरा मामला?

निलंबित तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान पर 15 जनवरी, 2025 को एक 34 वर्षीय महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। महिला ने शिकायत में कहा था कि चौहान ने 2008 से 2025 तक उसे बतौर पत्नी अपने साथ रखा और लगातार उसका शारीरिक शोषण किया। महिला ने यह भी गंभीर आरोप लगाए हैं कि चौहान की कुल चार पत्नियां हैं। उस पर मारपीट और धमकाने के भी आरोप हैं। महिला थाना में एफआईआर दर्ज होने के बाद चौहान को भितरवार तहसीलदार के पद से हटाकर भू-अभिलेख कार्यालय में अटैच कर दिया गया था। इसके बाद शासन ने उसका तबादला कटनी कर दिया, लेकिन उसने वहां ज्वाइन नहीं किया, जिसके बाद उसे निलंबित कर दिया गया था।

डीएनए सैंपल और कोर्ट की आपत्ति

पुलिस ने रिमांड के दौरान आरोपित का DNA सैंपल भी लिया और जांच के लिए भेजा। हालांकि, कोर्ट ने बिना अनुमति के सैंपल लेने पर आपत्ति जताई। पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि आरोपित पुलिस कस्टडी में था और मामला दुष्कर्म का होने के कारण सैंपल लिया गया। वहीं, इनामी तहसीलदार मुस्कुराते हुए कोर्ट पहुंचा था, जिसकी फाइल फोटो भी सामने आई है। पुलिस ने यह भी जानकारी जुटाई है कि आरोपित ने ग्वालियर के कुछ व्हाट्सएप ग्रुप भी छोड़ दिए थे ताकि उस पर नजर न रखी जा सके।

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