कार्तिक पूर्णिमा 2025: त्रिपुरारी पूर्णिमा से गुरु नानक जयंती तक, जानें महापर्व का महत्व और शुभ मुहूर्त
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दिल्ली: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। यह साल की सबसे पवित्र पूर्णिमाओं में से एक मानी जाती है, जो न केवल भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना के लिए शुभ है, बल्कि इसी दिन देव दीपावली और सिख धर्म का महत्वपूर्ण पर्व गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है।
त्रिपुरारी पूर्णिमा का महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा को ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने तीनों असुरों – त्रिपुरासुर, तारकाक्ष और विद्युन्माली का संहार किया था।
ये तीनों असुर अपने-अपने त्रिपुर नामक नगरों में रहकर तीनों लोकों में आतंक मचाते थे। भगवान शिव ने त्रिपुरों का नाश कर धर्म की रक्षा की, इसीलिए यह दिन ‘त्रिपुरारी पूर्णिमा’ कहलाया। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को असीम शक्ति, ज्ञान और समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
गंगा स्नान और देव दीपावली का धार्मिक महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा का सबसे प्रमुख आध्यात्मिक पहलू गंगा स्नान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक माह में गंगा स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वर्ग के देवता भी गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इसी दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है, जिसे असुरों पर देवताओं की विजय का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि देवता इस दिन धरती पर आकर दीप जलाते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। वाराणसी में इस अवसर पर गंगा घाटों पर हजारों दीप जलाकर भव्य उत्सव मनाया जाता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
गुरु नानक जयंती का पावन पर्व:
कार्तिक पूर्णिमा का दिन सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र है, क्योंकि इसी दिन पहले सिख गुरु, श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इस अवसर पर सिख समुदाय देश-विदेश के गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर और अरदास का आयोजन करता है। यह दिन ‘गुरुपर्व’ के नाम से भी प्रसिद्ध है और प्रेम, सेवा तथा एकता का संदेश देता है।
कार्तिक पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:
वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर (बुधवार) को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को रात 10 बजकर 36 मिनट से होगी और यह अगले दिन 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी। चूंकि हिंदू धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व होता है, इसलिए यह पर्व 5 नवंबर को ही मनाया जाएगा।
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गंगा स्नान मुहूर्त: सुबह 4:52 बजे से सुबह 5:44 बजे तक
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पूजा मुहूर्त: सुबह 7:58 बजे से सुबह 9:20 बजे तक
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प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त: शाम 5:15 बजे से रात 7:05 बजे तक
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चंद्रोदय का समय: शाम 5:11 बजे











