90 डिग्री वाले ऐशबाग पुल की जांच रिपोर्ट में गलती छिपाने जमीन की कमी को बनाया बहाना

भोपाल। मजाक का विषय बने 90 डिग्री मोड़ वाले ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज की जांच रिपोर्ट सरकार तक पहुंच गई है। लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अब उस रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं। उसके बाद मामले में कोई कार्रवाई हो सकती है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह रिपोर्ट रविवार तक तैयार हो चुकी थी, लेकिन अधिकारियों ने इसे आगे नहीं बढ़ाया। अब आगे बढ़ाया गया है। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में डिजाइन की गलती छिपाने के लिए जमीन की कमी का तर्क दिया गया है। इसमें कहा गया है कि एक तरफ रेलवे लाइन और दूसरी तरफ मेट्रो रेल की जमीन होने की वजह से वहां लंबे घुमाव की जगह ही नहीं बन पाया।

पुल से भारी वाहनों का गुजरना होगा मुश्किल

हालांकि इस बात पर जोर दिया गया है कि लोनिवि और रेलवे के अधिकारों में समन्वय बेहतर होता तो इसका समाधान समय रहते निकाला जा सकता था। इंजीनियरों ने इस बात का भी ध्यान नहीं रखा कि तीखे मोड़ की वजह से पुल से भारी वाहनों का गुजरना मुश्किल हो जाएगा।

समिति ने इस मोड़ को अधिक घुमावदार बनाने का सुझाव दिया है। बताया जा रहा है कि इसके आधार पर विभाग एक तकनीकी प्रस्ताव तैयार कर रेलवे को सौंपेगा। अगर वहां से अतिरिक्त जमीन मिल गई तो मोड़ को सुधारा जाएगा। जमीन नहीं मिलने की स्थिति में सुरक्षा उपायों के साथ हल्के वाहनों के लिए पुल को खोलने का सुझाव भी है।

 

स्पीड 30 से 35 किमी रखने को कहा गया

इसमें वाहनों की गति 30-35 किमी प्रति घंटा रखने को कहा गया है। पुल की गलत डिजाइन की बात सामने आने के बाद लोनिवि मंत्री राकेश सिंह के निर्देश पर एक पांच सदस्यीय समिति का गठन हुआ था। समिति ने आरओबी की संपूर्ण संरचना और रेलवे साइट का बारीकी से निरीक्षण किया। एक-एक इंच की नाप जोख के बाद रिपोर्ट तैयार की।

लापरवाही करने वाले पर होगी कार्रवाई

जांच रिपोर्ट शासन को मिल चुकी है और उसका परीक्षण जारी है। रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर जिस अधिकारी की लापरवाही से यह मोड़ बना, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। – नीरज मंडलोई, अपर मुख्य सचिव, लोनिवि

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