छत्तीसगढ़ में कारोबारियों के घर ACB-EOW की रेड:रायपुर, दुर्ग, धमतरी, राजनांदगांव में छापा; 10 गाड़ियों में पहुंची टीम; DMF घोटाले में कार्रवाई

छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में ACB और EOW की संयुक्त टीमों ने बुधवार सुबह छापेमारी की है। रायपुर, राजनांदगांव, दुर्ग और धमतरी में कार्रवाई की है। रायपुर में पचपेड़ी नाका स्थित वॉलफोर्ट इन्क्लेव में अशोक और अमित कोठारी के घर टीम ने रेड की है। इनका कारोबार कृषि कच्चा माल, खाद्य पदार्थ से जुड़ा है।

राजनांदगांव में तीन कारोबारियों के ठिकानों पर छापा मारा गया है। राधाकृष्ण अग्रवाल के यहां दबिश दी गई है। इनका कोल माइंस का कारोबार है। वहीं ललित भंसाली, जो टेंट कारोबार से जुड़े हैं, सरकारी स्कूलों के सामान का सप्लायर है। यश नाहटा भी सप्लायर हैं और कंप्यूटर, टीवी सहित अन्य सामान की सप्लाई करते हैं।

दुर्ग में महावीर नगर स्थित कारोबारी नीलेश पारख के यहां जांच की गई, जबकि धमतरी के सिर्री में 5 घंटे की कार्रवाई के बाद टीम लौट गई है। यहां EOW की टीम सुबह 7 बजे ठेकेदार अभिषेक त्रिपाठी के घर दबिश थी। डीएमएफ घोटाले से जुड़ी जांच के तहत कार्रवाई की गई।

यह जांच DMF फंड के तहत सरकारी सप्लाई में अनियमितताओं और कमीशन लेनदेन को लेकर की जा रही है।

टीमें फिलहाल शासकीय सप्लाई से जुड़े दस्तावेजों और वित्तीय रिकॉर्ड की जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि DMF घोटाले में पहले भी कई बड़े अधिकारी जेल जा चुके हैं। हालांकि, अब तक अधिकारियों की ओर से किसी भी कार्रवाई को लेकर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

क्या है DMF घोटाला

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है।

टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।

डिस्ट्रिक मिनरल फंड (DMF) घोटाला मामले में कलेक्टर को 40%, सीईओ 5%, एसडीओ 3% और सब इंजीनियर को 2% कमीशन मिला। DMF के वर्क प्रोजेक्ट में करप्शन के लिए फंड खर्च के नियमों को बदला गया था।

फंड खर्च के नए प्रावधानों में मटेरियल सप्लाई, ट्रेनिंग, कृषि उपकरण, खेल सामग्री और मेडिकल उपकरणों की कैटेगरी को जोड़ा गया था, ताकि संशोधित नियमों के सहारे DMF के तहत जरूरी डेवलपमेंट वर्क को दरकिनार कर अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट को अप्रूव किया जा सके।

यह खुलासा कोरबा में 575 करोड़ रुपए से ज्यादा के हुए DMF स्कैम की जांच में हुआ है। इसकी पुष्टि रायपुर कोर्ट में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा पेश किए गए 6 हजार पेज के चालान से हुई है।

25 से 40 प्रतिशत का कमीशन

ED की जांच से पता चला कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी मात्रा में कमीशन का भुगतान किया है, जो कि कांट्रैक्ट का 25% से 40% तक था। रिश्वत के लिए दी गई रकम की एंट्री विक्रेताओं ने आवासीय (अकोमोडेशन) के रूप में की थी।

एंट्री करने वाले और उनके संरक्षकों की तलाशी में कई आपत्तिजनक विवरण, कई फर्जी स्वामित्व इकाई और भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ है। तलाशी अभियान के दौरान 76.50 लाख कैश बरामद किया गया। वहीं 8 बैंक खाते सीज किए। इनमें 35 लाख रुपए हैं। इसके अलावा फर्जी डमी फर्मों से संबंधित विभिन्न स्टाम्प, अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।