पूर्व महापौर एजाज ढेबर ने म्युनिसिपल बॉन्ड पर उठाए सवाल:बोले-जब सरकार ही नहीं ले रही है बॉन्ड की गारंटी, तो निवेशक कैसे करेंगे भरोसा

रायपुर के पूर्व महापौर ने हाल ही में जारी किए गए रायपुर नगर निगम म्युनिसिपल बॉन्ड की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जब राज्य सरकार इस बॉन्ड की गारंटी नहीं ले रही है, तो निवेशक इस पर भरोसा कैसे करेंगे। साथ ही उन्होंने ब्याज दर को लेकर भी सवाल उठाया कि क्या इस बॉन्ड का जो ब्याज मिलेगा, वह आयकर (Income Tax) के दायरे में आएगा।
पूर्व महापौर ने कहा कि, सभापति रहते हुए तो महापौर मीनल चौबे ने बॉन्ड की साख पर सवाल उठाए थे। अब सरकार की शर्तें साबित करती हैं कि यह मुद्दा सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि भरोसे का है। भाजपा सरकार के आने के बाद कई विकास परियोजनाएं रुकी हुई हैं। बिना स्पष्ट योजना के काम चल रहा है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इन शर्तों से नगर निगम की वित्तीय स्वतंत्रता कमजोर होगी और भविष्य के बड़े प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है। इस प्रेस वार्ता में पूर्व एमआईसी सदस्य भी मौजूद रहे।
इस प्रेस वार्ता में पूर्व एमआईसी सदस्य भी मौजूद रहे।
म्युनिसिपल बॉन्ड क्या है?
म्युनिसिपल बॉन्ड एक तरह का निवेश है, जिसमें लोग या संस्थान नगर निगम को पैसा उधार देते हैं। इसके बदले में नगर निगम निश्चित ब्याज के साथ तय समय में राशि लौटाने का वादा करता है। इसे शहर की विकास परियोजनाओं जैसे सड़क निर्माण, जलापूर्ति और अन्य बुनियादी ढांचे के लिए लगाया जाता है।
100 करोड़ के म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की अनुमति
कुछ ही दिन पहले राज्य नगरीय प्रशासन विभाग ने रायपुर नगर निगम को 100 करोड़ रुपए का म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की अनुमति दी, लेकिन शर्तों के साथ। इन शर्तों के तहत निगम और निवेशकों के बीच होने वाले लेन-देन की गारंटी राज्य सरकार नहीं लेगी। बॉन्ड की सभी देनदारियों की जिम्मेदारी निगम की होगी।
केंद्रीय शहरी मंत्रालय की योजना के तहत नगर निगम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने और राज्य सरकार पर निर्भरता कम हो। बॉन्ड पर अधिकतम 8.5 प्रतिशत ब्याज तय किया गया है। इसके साथ ही केंद्र सरकार अमृत योजना के तहत नगर निगम को 100 करोड़ के बॉन्ड पर 13 करोड़ रुपए प्रोत्साहन राशि देगी।
रायपुर नगर निगम छत्तीसगढ़ का पहला नगर निगम होगा, जो यह बॉन्ड जारी करेगा। देश में यह 12वां नगर निगम होगा। इससे पहले इंदौर, राजकोट, अहमदाबाद, पुणे, पिपरी-चिंचवाड, लखनऊ और हैदराबाद जैसे शहर इस प्रक्रियासे गुजर चुके हैं।











