Contract Employees Salary- संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को बकाया वेतन का भुगतान तत्काल करवाने का निर्देश

Contract Employees Salary-रेट ने एसके मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, सीकर में संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को बकाया वेतन का भुगतान नहीं करने को गंभीर मानते हुए प्रमुख चिकित्सा सचिव व निदेशक सहित एसके मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को उनके बकाया वेतन का भुगतान तत्काल करवाने का निर्देश दिया है। रेट ने यह निर्देश राजकिशोर शर्मा, दीन दयाल व राकेश दीक्षित सहित छह की अपीलों को निस्तारित करते हुए दिया।

Contract Employees Salary-अधिवक्ता संदीप कलवानिया ने बताया कि अपीलार्थी रिटायर सरकारी कर्मचारी हैं। मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने साल 2023 में एक विज्ञप्ति जारी की थी। उसके तहत ही प्रार्थियों की पात्रता के अनुसार कॉलेज प्रशासन ने उन्हें अलग-अलग पदों पर संविदा पर नियुक्ति दी। लेकिन प्रिंसिपल ने उन्हें बिना कोई कारण बताए वेतन नहीं दिया। जिस पर प्रार्थियों ने रेट में अपील दायर कर उन्हें मेडिकल कॉलेज से वेतन दिलवाए जाने का आग्रह किया।

Contract Employees Salary-अपीलों पर सुनवाई करते हुए रेट ने 31 मई 2024 को चिकित्सा विभाग व मेडिकल कॉलेज से जुड़े संबंधित अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए कहा। लेकिन विभाग व कॉलेज ने नोटिस का जवाब नहीं दिया। वहीं मेडिकल कॉलेज ने संविदा कर्मचारियों का वेतन रोकने का भी कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। जिस पर रेट ने अपीलार्थियों की अपीलों का निस्तारण करते हुए संबंधित जिम्मेदारों को उनके नियुक्ति आदेश में तय वेतन के अनुसार बकाया वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया।

Contract Employees Salary-हाईकोर्ट ने करीब 17 साल पुराने केस का निस्तारण करते हुए राज्य सरकार व पीएचईडी विभाग को निर्देश दिया है कि वह प्रार्थी कर्मचारी के इलाज पर हुए खर्च की अपने स्तर पर गणना कर उसे तीन महीने में इस राशि तीन महीने की अवधि में पुनर्भरण करें। यदि राशि का तय समय में भुगतान नहीं हो तो 6 प्रतिशत ब्याज भी दी जाए। अदालत ने यह निर्देश साहब सिंह की याचिका निस्तारित करते हुए दिया।

Contract Employees Salary- अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि प्रार्थी हिंडौन के पीएचईडी ऑफिस में कार्यरत था। साल 2007 में इमरजेंसी होने पर उसे प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया। इलाज पर 80 हजार रुपए खर्च हुए। प्रार्थी ने राशि के पुनर्भरण के लिए विभाग में आवेदन किया।

लेकिन विभाग ने राशि देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उसने सरकारी या मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में इलाज नहीं कराया है। उसने जहां इलाज कराया है वह राज्य सरकार से अधिकृत नहीं है। इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि इमरजेंसी हालात में उसका प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना आवश्यक था। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि आपात परिस्थितियों में कहीं पर भी इलाज लिया जा सकता है।