CGMSC ने वापस मंगाई एंटीबायोटिक की खेप, रायपुर-बलौदाबाजार के अस्पतालों में हो रहा था इस्तेमाल

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) ने एक और एंटीबायोटिक दवा के बैच को तत्काल प्रभाव से वापस मंगाने का आदेश जारी किया है। यह दवा ऑफ्लॉक्सासिन-ऑर्निडाजोल टैबलेट है, जिसका निर्माण जेस्ट फॉर्मा नामक कंपनी द्वारा किया गया था। बताया जा रहा है कि यह बैच पिछले साल 2024 से राज्य के कई सरकारी अस्पतालों, खासकर रायपुर और बलौदाबाजार जिलों में उपयोग किया जा रहा था।

CGMSC ने दवा के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए रायपुर स्थित अपने ड्रग वेयरहाउस से राज्यभर के सभी प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को आदेश भेजा है। निर्देशों के अनुसार, अस्पतालों को इस दवा के स्टॉक को तुरंत अलग रखने और मरीजों को इसका वितरण रोकने के लिए कहा गया है।

सूत्रों के मुताबिक, यह कदम तब उठाया गया जब दवा के सैंपल की जांच के दौरान कुछ खामियां पाई गईं। जांच रिपोर्ट में दवा की गुणवत्ता और प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं। इसके बाद CGMSC ने सतर्कता बरतते हुए पूरे बैच को रिकॉल करने का निर्णय लिया।

हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस दवा के सेवन से किसी मरीज को प्रतिकूल प्रभाव हुआ है या नहीं। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी है। वहीं, अस्पतालों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी मरीज अब इस बैच की दवा का सेवन न करे।

जानकारी के अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब CGMSC ने किसी दवा की खेप वापस मंगाई हो। इससे पहले भी कुछ एंटीबायोटिक और सर्जिकल आइटम की क्वालिटी पर सवाल उठने के बाद ऐसे कदम उठाए जा चुके हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार दवाओं में गुणवत्ता संबंधी शिकायतें आना राज्य की ड्रग सप्लाई चेन पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

CGMSC के अधिकारियों ने कहा है कि संबंधित कंपनी को नोटिस भेजा गया है और रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने सभी जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सतर्क रहने और दवा के पुराने बैचों की जांच करने के भी निर्देश दिए हैं।

इस पूरे मामले ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जांच में लापरवाही साबित होती है, तो दवा निर्माण कंपनी पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में मरीजों की सुरक्षा से समझौता न हो।