बिहार का BPSC विवाद अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, प्रीलिम्स परीक्षा रद्द करने की मांग

बिहार लोक सेवा आयोग यानी BPSC प्रीलिम्स परीक्षा रद्द करने की मांग का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. याचिका में BPSC प्रीलिम्स परीक्षा रद्द करने का आदेश जारी करने की मांग की है. याचिका में प्रदर्शनकारी छात्रों पर किए गए लाठीचार्ज के लिए जिम्मेदार जिले के एसपी और डीएम के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने की गुहार भी लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका शनिवार को दाखिल की गई.

सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को दाखिल की गई याचिका में परीक्षा के दौरान व्यापक धांधली का आरोप लगाया गया है. इस पूरे प्रकरण की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में सीबीआई से कराए जाने का आग्रह किया गया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से इस मामले पर जल्द सुनवाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है, क्योंकि अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल से मामला गंभीर हो चला है. याचिकाकर्ताओं के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने मंगलवार 7 जनवरी को सुनवाई के लिए इस याचिका को उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का भरोसा दिया है.

13 दिसंबर की परीक्षा में हुई थी गड़बड़ी

इससे पहले 13 दिसंबर, 2024 को BPSC की पीटी परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन इस परीक्षा के दौरान पटना के बापू परीक्षा परिसर में गड़बड़ी पाई गई थी. इसके बाद इस सेंटर के परीक्षा को आयोग ने रद्द कर दिया था. इसके बाद पटना के 22 परीक्षा के दर पर आज परीक्षा को फिर से आयोजित किया जा रहा है.

प्रशांत किशोर का आरोप- सीटें बीक गई हैं

छात्रों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जन सुराज के मुखिया प्रशांत किशोर आमरण अनशन पर बैठे हैं. आज उनके अनशन का चौथा दिन है. इससे पहले उन्होंने कहा कि परीक्षा 15 हजार बच्चों की है, जो बच्चे आंदोलित हैं वे 3.5 लाख से ज्यादा हैं. लोग जानते और समझते हैं कि आधे से ज्यादा सीटों पर भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं. सीटें बीक गई हैं. जिसने पढ़ाई की है उसे सीट नहीं मिलेगी. हर जिले और गांव-गांव में खबर फैली है कि एक-एक नौकरी के 30 लाख से 1.5 करोड़ तक लिए जा रहे हैं. सरकार को इस पर बोलना चाहिए.

प्रशांत किशोर बोले- अनशन जारी रहेगा, हम अपना काम कर रहे

उन्होंने कहा कि हम अपना काम कर रहे हैं और सरकार को अपना काम करने दीजिए. अनशन जारी रहेगा. मेरे पास कोई उठाने नहीं आया है और जब कोई आएगा तो देखा जाएगा. मैं पिछले ढाई साल से बिहार में काम कर रहा हूं, अगर मैं राजनीति नहीं करूंगा तो क्या करूंगा? अगर आप किसी को पीटते हैं और मैं उनके समर्थन में यहां बैठा हूं और फिर आप इसे राजनीति कहते हैं तो मैं राजनीति कर रहा हूं. नीतीश कुमार काम नहीं करना चाहते हैं. वे केल सत्ता में बने रहना चाहते हैं. यही कारण है कि उन्होंने कोविड के समय में बिहार के लोगों की मदद नहीं की. उन्हें बाकी चीजों की चिंता नहीं है, बल्कि उन्हें केवल सत्ता में रहने की चिंता है.

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